हिंदी दिवस विशेष
हिंदी
दुनिया की सबसे अधिक
बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।
हिंदी की जड़ें प्राचीन
भारत में देखी जा सकती हैं,
जहाँ यह मानवीय सभ्यताओं
में ज्ञात सबसे पुरानी भाषाओं में से एक, संस्कृत
के अपभ्रंश के रूप में
विकसित हुई। सर्वप्रथम मुग़ल काल के उत्तरार्द्ध के
दौरान इसका स्वरुप विकसित होता हुआ दिखाई देता है जहाँ यह
फ़ारसी व रेख्ता जैसी
भाषाओं के मिश्रणस्वरुप 'हिन्दवी'
के रूप में उभरी। सदियों से फ़ारसी, अरबी,
तुर्की व अंग्रेजी जैसी
भाषाओं से प्रभावित होकर
हिंदी विभिन्न चरणों से गुज़री है
और इसी कारण आज इसका स्वरुप
काफ़ी मिश्रित प्रकार का दिखाई देता
है।
हिंदी को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। देवनागरी लिपि हिंदी को एक लिखित पहचान देती है। हिंदी अनेक बोलियों और क्षेत्रीय विविधताओं वाली भाषा है व लहजे और भावों से समृद्ध भारत की बहुसांस्कृतिक प्रकृति को दर्शाती है। उत्तर में भोजपुरी से लेकर देश के मध्य में अवधी, दक्षिण में बुंदेलखंडी व पश्चिम में ब्रज और खड़ी बोली तक हिंदी अपनी एक अनूठी कहानी बुनती है।
अपने भाषाई स्वरुप से परे, हिंदी को एक सांस्कृतिक शक्ति के रूप में भी देखा जाता है। यह वह माध्यम है जिसके द्वारा बहुत सारी उत्कृष्ट कविताओं, साहित्यों और दर्शन को संप्रेषित किया गया है। कबीर, तुलसीदास और मीरा बाई जैसे कवियों की रचनाएँ पीढ़ियों तक गूंजती हैं व लोगों के दिलों को छूती हैं।
हालाँकि, वर्तमान में हिन्दी कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है जैसे- राजनीतिक और क्षेत्रीय संघर्षों के कारण कुछ क्षेत्रों में हिंदी के प्रति पूर्वाग्रह भी देखने को मिलता है व हिंदी को अपनाने को लेकर असुरक्षा का भाव देखा जाता है। भारतीय संविधान में भी हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में अपनाने में लचीलापन रखा गया है जिसके फलस्वरूप इस प्रकार का क्षेत्रीय व भाषायी मतभेद दिखाई देता है। ब्रिटिश शासन के दौरान हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को दबाने का प्रयास किया गया व अंग्रेजी भाषा को तरजीह दी गई जिसके परिणाम आज भी देखने को मिलते हैं - विशेषकर शहरी क्षेत्रों, शिक्षा और व्यवसाय में आज भी अंग्रेजी की मजबूत उपस्थिति है।
वैश्वीकरण के कारण फिल्मों, टीवी शो और इंटरनेट सहित पश्चिमी मीडिया के प्रभाव में अंग्रेजी को प्राथमिकता दी जाती है - इससे हिंदी भाषा का प्रयोग हाशिये पर चला जाता है। परंतु वैश्विकरण का एक फायदा यह भी हुआ है कि आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में, हिंदी को डिजिटल क्षेत्र में एक नया मंच मिल गया है। इंटरनेट, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स ने हिंदी सामग्री को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचने का मार्ग प्रदान किया है। यह डिजिटल विस्तार दुनिया भर के हिंदी भाषियों के बीच समुदाय की भावना को बढ़ावा दे रहा है।
भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रसार से भी हिंदी को आज अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान मिली है। भारतीय फिल्म उद्योग- बॉलीवुड ने दुनिया भर में हिंदी को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अमिताभ बच्चन, प्रियंका चोपड़ा व पंकज त्रिपाठी जैसे प्रतिष्ठित अभिनेता सांस्कृतिक राजदूत बन कर उभरे हैं, जिससे हिंदी भाषा की वैश्विक अपील और ज्यादा बढ़ गई है।
वर्तमान में हिंदी ने अपनी प्राचीन जड़ों को जमाये रखने के साथ आधुनिकता को भी अपनाया है। यह क्षेत्रीय सीमाओं को पार करते हुए राष्ट्र को एक साथ बांधती है। जैसे-जैसे भारत वैश्विक मंच पर विकसित हो रहा है, हिंदी एक महत्वपूर्ण शक्ति बन रही है, जो अपने साथ एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को लेकर चल रही है।
स्कॉलर्स डेन की ओर से सभी को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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